पत्रकार नईम क़ुरैशी - मुश्किलें हमेशा खुद को परखने का मौका देती है। मोहम्मद खान साहब

मुश्किलें हमेशा खुद को परखने का मौका देती है। मोहम्मद खान साहब
”आदमी वो जो मुष्किल में भी परेशान ना हो,  और कोई भी ऐसी मुष्किल नही जो आसान ना हो“
यह उक्त विचार जनाब मोहम्मद खान साहब के है। मुष्किलें मुसीबतें सभी की जिंदगी में लगी रहती है, लेकिन जो इंसान इनसे घबराता नही है और खुद को इनसे बड़ा बना लेता है वही आदमी सफल और कामयाब हो पाता है। मुष्किलों के पहाड़ का सीना चीरते हुए माँ की दुआओं से सफलता हासिल की जनाब मोहम्मद खान साहब ने। जिन्होने समय की कीमत को समझा और मां की दुआओं व अपनी मेहनत के दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया। खान साहब का मानना है कि जब कोई परेषानी आए तो परेषानी को समझने की कोशिश करनी चाहिए, मुश्किलें हमेशा खुद को परखने का मौका देती है। खान साहब का एक षेर है, वो कहते है कि  ”अगर सच्ची लगन हो तो वक्त भी रूक जाता है, आस्मा लाख उंचा हो मगर झूक जाता है“  
 जीवन परिचय: मोहम्मद खान साहब का जन्म मेरठ के एक कस्बे में 1975 को हुआ। खान साहब के पिता जनाब मेहमूद खान एक किसान थे। जब खान साहब 5 साल के थे तब उनके पिता का दिहांत हो गया। खान साहब अपने भाईयों में सबसे छोटे थे। पिता के दिहांत के कुछ वर्ष बाद ही परिवार में सब अलग हो गये। और क्यूकि खान साहब सबसे छोटे थे तो अपनी मां षमीम बानो के हिससे में आ गये। ऐसे में मुनव्वर राणा का एक शायरी याद आती है जो कि खान साहब पर फिट बेठती है। 
”किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई, 
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई“
 परिवार परिचय: मोहम्मद खान साहब का विवाह सन् 1997 में समीना खान से हुआ और हर अच्छे-बूरे दिनों में समीना खान ने उनका साथ दिया, और कभी किसी कार्य में दखल अंदाजी नही की। खान साहब के 4 बच्चे है। मोईन खान सबसे बड़े और बीटेक कर रहे है। फराज खान 11वीं क्लास में है और उनको बाईक स्टंड करना तथा डांस करना ज्यादा पसंद है। वसीम खान 6वीं क्लास में है। और सबसे छोटी सबसे नटखट फलक खान 8वर्ष की है, 4क्लास में पढ़ रही है, तथा 2 वर्ष पुर्व कुरआन में नाजरा कर चुकी है, और बेहतरीन स्टंड में माहिर है। और सबकी लाडली है।

व्यवसायः मोहम्मद खान साहब राजस्थान राॅयल फर्म के डायरेक्टर है। तथा पिछले 20 वर्षों से स्पोर्ट के आइटमों का व्यवसाय कर रहे है। तथा 5 वर्षों से प्रोपर्टी का भी व्यवसाय है।

मेहनत से मिली सफलताः खान साहब वर्तमान में जयपुर में रहते है, और एक अनूठी पहचान रखते है मां की दुआआं से और मेहनत से सफलता मिली खान साहब का मानना है और कहना है की मां की दुआओं का खजाना कभी कम नही होता, आखरी समय तक उनकी यादें मेरे साथ थी। आज वो मुझे बहुत याद आती है। उनकी दुआ से ही में आज इस मुकाम पर हुँ। अभी खान साहब निरंतर समाज सेवा में कार्य कर रहे है। असहाए, विधवाओं व निषक्त जनो की सेवा हेतू एक ट्रस्ट भी बनाया है। 

आदरणीयः मोहम्मद खान साहब अब्दुल कलाम सहित सभी को अपना आदर्ष मानते है। लेकिन वो सबसे करीब यूनुस खान के रहे और उनसे बहुत कुछ सीखा और उनको ही अपना आदरणीय गुरू मानते है उनके कुछ कथन है जो उन्होंने हमारे साथ शेयर किये। ”जो गलती पर गलती करें उसे शैतान कहते है, जो गलती करके मना करे उसे हेवान कहते है, और जो गलती करके मान ले उसे इंसान कहते है, और जिससे कभी गलती ना हुई हो उसे भगवान या रहमान कहते है।“
 

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