पत्रकार नईम क़ुरैशी - माॅ बाप का सपना था कि में डाॅक्टर बनू और उन्ही की दुआओं का नतीजा है, कि में आज इस मुकाम पर हुॅ।
माॅ बाप का सपना था कि में डाॅक्टर बनू और उन्ही की दुआओं का नतीजा है, कि में आज इस मुकाम पर हुॅ।
कार्यक्षेत्र से लेकर निजी लाइफ में परेषानियां सभी के साथ आती है, लेकिन हर परेषानी के सामने घुटने टेक देने का नजरिया इंसान को कमजोर व उसकी दक्षता पर सवालिया निषान लगा देता है। जिंदगी जीना के नाम है, हर परेषानी को सकारात्मक सोच के साथ हल किया जाए तो लाइफ को बेहतर से बहतरीन बनाया जा सकता है। प्रोफेसर गुलाम कुतब चिष्ती भी जीवन को लेकर काफी सकारात्मक है। व एक कुषल प्रषासनिक डाक्टर होने के साथ-साथ बेहतर राजपुताना मेडिकल काॅलेज के प्रिंसीपल भी है।
गुलाम कुतब चिष्ती का जन्म 15 फरवरी 1956 को सहारनपुर जिले के रूड़की षहर में हुआ। वे बताते है कि उनके पिता सूफीयत किस्म के थे, उन्होने मुझे डाॅक्टर बनाने के लिए अपनी हैसियत के मुताबिक तमाम कोषिष की, उनका सपना था कि में डाॅक्टर बनू समाज की सेवा करू, और आज उन्ही की मेहनत और दुआओं का नतीजा है, कि में इस मुकाम पर हुॅ। षुरूआती तालीम मैनेे यू.पी से ही हासिल की, जबकी 1974 में जयपुर आया और यही से मैने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद 1986 से राजपुताना मेडिकल काॅलेज में निरंतर अपनी सेवाए देता आ रहा हुॅ, और आज राजपुताना मेडिकल काॅलेज के प्रिंसीपल पद पर हुॅ।
प्रोफेसर चिष्ती साहब अपनी कामयाबी के पीछे अपनी अहलीया के एवं परिवार के सभी सदस्यों का भी हर सम्भव योगदान रहा, और साथ-साथ अपने करीब मास्टर मुनीर मोहम्मद खान व सईद अहमद फारूकी एवं सईद गुडेज, के सहयोग की भी तारीफ की ये सभी वो लोग है जिन्हे प्रोफेसर गुलाम चिष्ती साहब अपनी कामयाबी का स्तम्भ मानते है।
इसके अलावा अनेक समाज सेवी संस्थाओं से भी जुड़े है, तथा आमजन को सरकारी योजनाओं की जरूरी जानकारीयां देकर उनकी मदद करते है। अपने काॅलेज के विद्यार्थियों को आगे बढ़ाने और उन्हें पढ़ाई के लिए जरूरी सभी साधन उपलब्ध करवाने एवं यूनानी पैथी की उन्नती में सदैव अग्रसर रहते है। जरूरतमंदो की मदद के लिए हमेषा तैयार रहते है। और गुलाम कुतब चिष्ती साहब षायरी का भी षोक रखते है। और आखीर में उन्होने समाज को एक संदेष भी दिया वो भी अपने षायराना अनदाज में। वही इंसान है जो इंसान के काम आता है, फना के बाद भी जुबा पे जिसका नाम आता है।
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