पत्रकार नईम क़ुरैशी - होसला कुछ कर गुजरने का

होसला कुछ कर गुजरने का


मां-बाप से मिली सीख ने हुसैन सुल्तानियाँ की लाईफ ही बदल दी और उनको एक अलग पहचान दी। हुसैन मूल झुनझूनु के है तब वे छोटे थे तब माता-पिता को लोगों की सेवा करते देखते तो उनको भी लगता था की व भी बड़े होकर लोगों की सेवा ही करेगें। और आज यूवाओं के लिए प्रेरणा का पर्याय बन चुके हुसैन सुल्तानियाँ पिछले 8 वर्षों से जयपुर में रह रहे है। राजस्थान युनीवर्सीटी में महासचिव पद के लिए छात्र चुनाव लड़ा और जीते लेकिन रिकाउटिंग की वजह से हार गये। हाल ही में उन्होंने एक उम्मीद, नामक संस्था रजिस्ट्रेषन के लिये दी है। हुसैन सुल्तानियाँ का संस्था रजिस्ट्रेषन कराने का उद्दष्य यही है कि व बहतर तरीके से जरूरतमंद लोगों की हेल्प करना चाहते है और उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सके, इसी कोषिष में लगे है।

माता पिता है, मेरे प्रेरक:
माता-पिता एक ऐसा षब्द है जिसमे मैंने सब कुछ पा लिया, सब कुछ उन्ही से सीखा है, वही मेरे आर्दष है, बचपन से देखा है, माता-पिता को गरीबों की सेवा करते हुवे और मेरी माॅं आनाथलय जाती थी वहां बच्चों खाना खिलाना उनको कपड़े देना। तो उनको देखकर ही ललक पड़ी दूसरों की सेवा करने की। 


आपकी हाॅबी:
दूसरों की मदद करना, अनाथाश्रम में बच्चों को खाना खिलाना, हर वर्ष ब्लड डोनेषन कैम्प लगवाना तथा फुटपात पर सोये हुवे लोगों को कम्बल वितरण करना, स्वम के खर्च से बिना किसी प्रलोभन के करता हुॅ। समाज सेवा सबसे बैस्ट है, दूसरो की सेवा करने में खुद को भी तसल्ली मिलती है, खुदा भी खुष होता है, और देखने वाला भी प्रसंन होता है।  


किया वजह है कि आप कांग्रेस से जुड़े है:

कांग्रेस की रणनीती व विभिन्न धर्मो के लोग इस पार्टी में आपस में प्यार मोहब्बत से रहते है, यह चीज बैस्ट है। फ्यूचर में राजनीती में ही जाना चाहता हुॅ। जातीवाद को लेकर जो राजनीति आज हो रही है उसको खत्म करना चाहता हुॅ। राजनीती में नीचले तबके के लोगों के लिए बहतर करना चाहता हुॅ। और मेरे कांग्रेस पार्टी में जुड़े होने की एक वजह यह भी है, कि अपनी सादगी और गांधीवादी मूल्यों के लिए पहचाने जाने वाले श्री आषेक गहलोत, व श्री सी.पी. जोषी तथा युवा हरदिल अजीज सचिन पायलेट जैसे नेता कांग्रेस में है। तो मेरी नजर में इससे अच्छी पार्टी कोई नही हो सकती है।



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