पत्रकार नईम क़ुरैशी - कौम की खिदमत के लिए हमेषा तैयार रहते है। हाजी सर्इद कुरैशी

कौम की खिदमत के लिए हमेषा तैयार रहते है। हाजी सर्इद कुरैशी 
हाजी सर्इद कुरैषी आज किसी परिचय के मोहताज नही, अपनी अलग सोच होने के कारण हमेषा से ही दूसरो से अलग सोचते है। कौम सेवा ही एक ऐसी राह है, जिस पर में चलना चाहते है। राजनीति तथा विवादों से दूर रहते है। लेकिन साथ ही साथ कांग्रेस के सच्चे सिपाही भी है कांग्रेस की नीतियों से प्रभावित है। हाजी सर्इद कुरैषी रामगंज व्यापार मंठल में 15 वर्षो से महासचिव के रूप में अपना अमूल्य योगदान दे रहे है। तथा आल इणिडया जमियातुल कुरैषी सोसायेटी में भी महासचिव है, कौम की खिदमत के लिए हमेषा तैयार रहते है।


हाजी सर्इद कुरैषी बताते है कि कुरैषी समाज सहित सभी निर्धन परिवारो को एक जुट कर उनमे दहेज़ की फिजूल खर्ची के खिलाफ जज़्बा पैदा कर न्यूनतम राषि में सामूहिक विवाह सम्मेलन का ऐतिहासिक कार्य करनी वाली आल इणिडया जमियातुल कुरैषी कमेटी है। जिससे में पिछले करीब चार वर्षो से जुड़ा हु। ये एक मात्र ऐसी संस्था जो सर्व समाज के लिए काम करती है जैसे विवाह सम्मेलन समाज में फैली बुराइयों को दूर करना देष में भार्इचारे को बनाये रखना अच्छे नम्बरों पास होने वाले बच्चों को सम्मान करना।


आपके उद्देष्य : मेरा सबसे पहला यही प्रयास होता कुरैषी ब्रादरी की जो भी संपत्ती है, उस संपत्ती व उससे होने वाली आमदनी का सही इसितमाल हो और यही प्रयत्न करता हु, विधवाओं व होनहार बच्चो पर वो पैसा खर्च हो।
कौम के खिदमत लिए हरसंभव कोषिष करता हु। आज के आधुनिक समाज में जहां बुज़ुर्गों को तिरस्कार की भावना से देखा जाता है, उन्हें वो इज्जत, आदर सम्मान नही मिल पाता है जिनके वे असल हकदार होते हैं। मुख्य उद्देष्य यही है मेरा, अधिक से अधिक बुज़ुर्गों की सहायता कर सकू। और ऐसे बुज़ुर्गं जो किसी कारणवष अपने परिवार से अलग और बेसहारा हो गए हैं। ऐसे ही बेसहारा बुज़ुर्गों के लिये प्रयास कर रहा हु,

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