पत्रकार नईम क़ुरैशी - प्रेरणादायक उद्धरण है डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जीवनी

पैरों से लाचार, हौसलों से नहीं।
प्रेरणादायक उद्धरण है डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जीवनी

यदि हौसला हो तो सपनों की उड़ान भरने के लिए पंख अपने आप लग जाते हैं. फिर उसके सामने दिव्यांगता जैसी बाधा बहुत छोटी नजर आती हैं. कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है डाॅ तनवीर ने जो पैरों से भले ही लाचार हो लेकिन अपने हौसलों के दम पर मुसीबतों का डटकर मुकाबला करते हुए वो डाॅक्टर बने, इस सफलता की खुशी जितनी उनको है। यकीनन अगर आज उनके माता-पिता जीवित होतें तो उनसे ज्यादा खुषी किसी ओर को नही होती। 
डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जिन्दगी की कहानी, उन्ही की जबानी: मैं हेंडी कैप हुॅ, मेरे दोनों पैरो में पोलियों है, डाॅक्टर की लाईन मेरे लिए बहुत टफ थी, मैने जब 10वीं क्लास की तो साइंस लेना ही मेरे लिए बहुत बड़ा टास्क था लेकिन मेरे घर वालो का क्रेज था जो मुझे लेनी पड़ी। मै जब केमिस्ट्री लैब में जाता था तो वहा खड़े होकर केमिकल रिएक्षन करने होते थे, इस तरह की समस्याएं बहुत आई। कई परिचित. व दोस्तों ने कहा कि तुम नही कर पाओगें इस लाइन को छोड़ दो, तो उस समय मेरे लिए भी यह बहुत बड़ा चैलेंज था वास्तव में ये बहुत बड़ा चैलेंज था। कि मै खड़ा होऊ या इसको करू। लेकिन मैंने वो किया। मेरे अन्दर जो इच्छा षक्ति थी कुछ अच्छा करने की और ऊपर वाले का करम व मेरे परिवार का सपोर्ट मेरे साथ था जिसकी वजह से में ये कर पाया। खुदा ने दिव्यांग बनाया लेकिन दिमांग भी तो दिया है। माता पिता के गुजर जाने के बाद ऐसा लगा जैसे सब कुछ छिन गया होः मेरे पिता जी नगर निगम में सी.एस.आई पोस्ट पर थे सन् 1997 को रिटायर हुए थे। सन् 2008 मे मेरे माता-पिता की 6 माह के गैप में डेथ हो गई, और मेरे ऊपर जैसे मुसिबतों का पहाड़ गिरा हो, मुझे पैसों के अलावा भी अनेक परेषानियों से गुजरना पड़ा। फिर मुझे जाॅब के लिए कोषिष करनी पड़ी। 
 मेरी दिव्यांगता को देखकर लोगों ने जाॅब देने से भी मना कर दिया थाः मैने कई अस्पतालों में जाॅब के लिए अप्लाई भी किया लेकिन मुझे देखकर मना कर दिया करते थे मेरी बहुत कोषिष करने के बाद मैने एक डाॅक्टर से कहा मुझे निःषुल्क में रखलों आपको जब लगे कि में किसी लायक हुॅ तो मुझे कुछ दे देना। और उन्होंने मुझे रख लिया और एक दिन नाईट डयूटी के लिए कोई नही था तो मैने आगे अकर कहा कि में तय्यार हुॅ, उन्होंने मुझ पर थोड़ा विष्वास रखा और हां करदी, फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने मुझे अपने कैबिन में बुलाया और मेरी तनख्वा डिसाईड करदी। ये मेरा पहला जाॅब था। कुछ समय बाद फिर मैने अपना क्लीनिक खोला तो मेरे पास एक छोटा सा कमरा था टेबल कुर्सी भी मैने अपने भाई से ही ली थी। मेरे माता-पिता की बहुत केाषिष रही मुझे डाॅक्टर बनाने की। मेरी माॅ मुझे षुरू से ही कुछ ना कुछ सिखाती रहती थी ये उन माता पिता का ही विष्वास रहा कि में आज इस मुकाम पर हूॅ।
डाॅ तनवीर का जन्म जयपुर में 8 जुलाई 1983 को हुआ उनका स्कूल दरबार सीनियर सैकण्डरी स्कूल रहा। व काॅलेज कजाक नेशनल यूनिवर्सिटी. कजाकिस्तान, से पढ़ाई की तथा एम.डी. डिपलोमा इन डायबीटीज़, थाईराईट में बोस्टन का सर्टिफिकेट है, इंडिया थाईलोज सोसायटी आई.टी.एस के मेम्बर है। इंटर्नशिप एस.एम.एस, से की। वर्तमान में डायबीटीज़, हार्मोनल इस्पेलाइजेषन, जैसे डायबिटीज, थाइराईट, ओबीसिटी, ओडी, बिमारियों में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैै।
फैमिली परिचय: डाॅ तनवीर की शादी डाॅ नूर बानो से हुई जोकि वो भी नेचुरल होम्योपैथी में डाॅक्टर है, व वर्तमान में हाऊज वाईफ है। दो बेटे है अरमान रषीद खान, दूसरा अनमोल रशीद खान, वर्तमान स्थिति बतायें? जयपुर, शास्त्री नगर स्थित डायबीटीज थाइराईट एवं ओबेसिटी कन्सलटेन्सी सेन्टर है, जो कि 5 बेड है व 7 कर्मचारी है। पिछले दो वर्षो से चल रहा है। तथा डाॅक्टरों का मेटाबोलिक ग्रुप है जिसमें जयपुर के सारे डाॅक्टर्स जुड़े है, उसमें भी में मेम्बर हुँ। 
सेन्टर व आपकी उपलब्धियों के बारे में बताएं? हमारे सेन्टर में बी.पी.डी, थर्मस स्कैन मषीन इसके अलावा हमारे पास एडवांस मषीने है।  प्रोग्नोसिस के लिए रखते है। जिससे हमे यह पता चल सक्ता है उसकी बाॅडी में किया-किया डेमिज हो सक्ते है। एक पैसेंट हमारे सेन्टर पर आया जिसका एक हाथ पूरा गल चुका था, हमने 15 दिन में उसका हाथ सही कर दीया, तो ऐसे कई कैस हमने सही किये है।
 आपकी सेवाओं के बारे में बताएं? नोटबंदी में डायबीटीज, थाइराईट, के जो मरिज थे वो अपना चैकप नही करापा रहे थे। तथा इस बीच भी हमने निःषुल्क कैम्पियन चलाया और आम जन को राहत दी। इसके अलावा सीकर में भी कैम्प लगाया और षूगर, मोटापे, बीपीटी, पैरो के नसों की जांच व एच.पी.वन.सी. जांच की जो की काफी मेहंगी होती है। तथा मोसम के हिसाब से ही जांचे करते है जैसे सर्दीयों में स्पायरोमेट्री की जांच भी निःषुल्क करते है। सांस वालों के लिए जांच रखते है। एक जांच और महंगी होती है वो है बी.एम.डी की जांच जो की कैम्प में निःषुल्क करते है। तथा हेल्पिंग हेण्ड फाउंडेशन, व सस्ंकार ग्रुप सहित अनेक एनजीओं के माध्यम से भी हमने निःशुल्क कैम्प आयोजित किये है। जितनी भी सोशल एक्टिविटी करते है वो सेल्फ ही करते है। 
 आपका फ्यूचर प्लान किया है? आज डायबीटीज का इलाज तो बहुत कर रहे है, लेकिन स्पैलाइजेषन नही हो रहा है। हमारी कोषिष है कि एक हार्मोन का पूरा स्ट्रेचर एक ही छत के नीचेे लोगों को मिले। फ्यूचर्स में प्रोपर एक हार्मोन सेन्टर जयपुर में करना चाहता हुॅ, जो की जयपुर में नही है। हार्मोन को लेकर लोगों में जागरूकता भी नही है। इसके लिए हम काउंसलिंग भी करते है। मेंठ टू मंेठ कार्यक्रम करने का भी है।
आपके आदर्श कौन है? डाॅक्टर एस.के.शर्मा जी को में अपना आदर्श मानता हुॅ, में उनको ही फाॅलो करता हुॅ। उनके यहां में मोर्निंग मे जाॅब भी करता हुॅ, मेरे जर्मन, रषियन, ब्रिटिस्ट टीचर्स रहे लेकिन जो पढ़ाने की क्वालिटी डाॅक्टर एस.के.शर्मा जी में है वो किसी में नही देखी, उनके पढाने की टाॅप क्लास क्वालिटी है।
आपकी पसंद के बारे में बताएं? मेरी माॅ ने मुझे कुकिंग भी सिखाई थी इसलिए मुझे कुकिंग पसंद है, व पढ़ना अच्छा लगता है।

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