पत्रकार नईम क़ुरैशी - हिन्दू-मुस्लिम आपसी भाईचारे की मिसाल

हिन्दू-मुस्लिम आपसी भाईचारे की मिसाल
एक-दूसरे की पत्नियों को किडनी देकर, दिया इंसानियत का संदेश



इस समय जहां देष में प्रदेष में सामप्रदायिकता का जहर घोलने का काम भुुद्ध स्तर पर चल रहा है। हिन्दू को मुस्लिम से लड़ाने के नये नये कार्यक्रम चल रहे है। देष में नफरत की राजनीति का बोलबाला चल रहा है। ऐसे कठिन हालात में भी जयपुर के व्यवसायी समाज सेवी मो. इस्लाम कुरैषी कारपेट ने मेहनत, मष्क्कत करके एक बे मिसाल काम को अन्जाम दिया जिसकी चर्चा आज पूरे प्रदेष में हो रही है। एक ऐसी मिसाल देखने को मिली है, जिसे जानकर आप हैरान रह जायेगें। जयपुर स्थित मौनीलेक हाॅस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर में दो हिंदू-मुस्लिम परिवार के पतियों ने एक-दूसरे की पत्नी को किडनी दी है। और इंसानियत का संदेश दिया है।
तीन माह से डायलेसिस व इलाज चल रहा था। पति का भी ब्लड ग्रुप मैच नही हुआ। 

तसलीम जहां जो की काॅफी समय से किडनी रोग से पीड़ित थी।
  और डाक्टरों के अनुसार तसलीम की दोनो किडनीया खराब हो चुकी थी और जिन्दगी बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता था किडनी ट्रासप्लाटेषन, तसलीम की जान बचाने के लिए उसका पति अनवार अपनी एक किडनी दान देना चाहता था, लेकिन बद किस्मती से ब्लड ग्रुप मैच नही हुआ और किडनी ट्रांसप्लांट नही हो सका।  
ढाई साल से डायलेसिस कराकर, नरकिय जिन्दगी गुजार रही थी अनीता, पति विनोद मेहरा भी था बेबस। 
अनीता मेंहरा की भी दोनो किडनीयां पिछले ढाई साल से खराब हो चुकी थी अनीता मेहरा भी पिछले ढाई साल से डायलेसिस कराकर ही नरकिय जिन्दगी गुजार रही थी अनीता को भी डाक्टरो ने किडनी ट्रान्सप्लांट की ही राय दी थी लेकिन अनीता को भी कोई डिनी देने को तैयार नही था अनीता भी मोनीलेक हाॅस्पिटल में ही डायलेसिस कराती थी। ब्लड ग्रुप मैच नही होने से पति विनोद मेहरा भी बेबस था।

अस्पताल के मुख्य किडनी रोग विशेषज्ञ डाक्टर आषुतोष सोनी का कहना है कि 90 प्रतिशत केस में महिलाएं डोनर होती है, लेकिन यहां पुरुष डोनर हैं। और राज्य में ऐसा ये पहला केस है जहां दो धर्म के लोगों ने एक दूसरे की पत्नी को किडनी देकर उनकी जान बचाई है। हसनपुरा की अनीता मेहरा और अजमेरी गेट के पास रहने वाली तसलीम जहां की किडली खराब थी और दोनों को किडनी डोनर नहीं मिल रहे थे। दोनों पिछले कुछ समय से डायलिसिस कराने के लिए मौनीलेक हाॅस्पिटल आ रही थी। विनोद जिसका ब्लड ग्रुप ए पाॅजिटिव था, उसका ब्लड ग्रुप तसलीम से मिल रहा था और अनवर जिसका ब्लड ग्रुप बी पाॅजिटिव था, उसका ब्लड ग्रुप अनिता से मिल रहा था। ह्रयूमन आॅर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट के अनुसार, केवल नजदीकी लोग ही किडनी डोनेट कर सकते हैं, लेकिन इस एक्ट के जरिए स्वैप किडनी भी हो सकती है।
मों इसलाम कुरैषी ने अपना फर्ज समझते हुआ हिन्दू-मुस्लिम के इस श्रेष्ठ कार्य की मिसाल को इंसानित की राह दिखाई। डाक्टर आषुतोष सोनी ने जब इसलाम कुरैषी को बताया कि विनोद मेहरा की किडनी तसलीम को और अनवर अहमद की किडनी अनीता को लग सकती है। इस प्रकार स्वेप करके दोनों महिलाओं की जान बच सकती है, इन चारों के आपस में क्रास मैच हो रहा है। मों. इस्लाम कुरैषी ने अनीता मेहरा के पति विनोद मेहरा व पिता मांगी लाल जी मेहरा को समझाया तो पहली बार में उन्होंने सोच-विचार का समय मांगा। 2-4 दिन बीतने के बाद इसलाम कुरैषी ने फिर उनको समझाया और किडनी ट्रान्सप्लाट के लिए तैयार किया। तथा दोनों परिवारों ने इस्लाम कुरैषी की बात मानते हुए ट्रान्सप्लाट के लिए राजी हो गये।
जयपुर, जवाहर नगर स्थित मोनीलेक हाॅस्पिटल व रिसर्च सेन्टर में 31 अगस्त 2016 को डाक्टर तोलानी, डाक्टर सोनी व अन्य डाक्टरो के सहयोग से चारों व्याक्तियों का आॅपरेषन किया गया और आॅपरेषन कामयाब रहा। अहमद ने बताया कि उत्साह के साथ ईद-उल-अजहा मना सका। और इस सबके लिए विनोद को धन्यवाद करता हुॅ। उन्होंने मेरी पत्नी को किडनी दी। मेरी पत्नी अब स्वस्थ है। वहीं अनिता के पति विनोद ने अहमद ईद की बधाई दी, और उनका षुक्रिया किया। और कहा कि मेरी पत्नी अनिता भी स्वस्थ है और उनकी जिन्दगी ने दीवाली की खुषी को दोगना कर दिया है।




 

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