पत्रकार नईम क़ुरैशी - जैकपोर्ट से मिली लोकप्रियता

जैकपोर्ट से मिली लोकप्रियता 

मंजूर अली कुरैषी का कहना है कि फिल्म लाइन उनका ड्रीम था, उनका जो सपना था वो उन्होंने पूरा किया। उन्होंने बताया कि लोग उनको देखकर हंसते थे उनके उपर जूमले छोड़ते, कि देखो वो जा रहा है हीरो लेकिन उन्होंने उनका कभी जवाब नही दिया। क्यूकि वक्त बड़ा बलवान होता है, उस वक्त वो कुछ नही थे। उस वक्त उनके लब पर एक ही षेयर हुवा करता था। ”अभी सूरज डूबा नही जरा षाम तो होने दो, में खुद लोट आऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो, जमाना ढूँढता है मुझको बदनाम करने का बहाना में खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो“  लेकिन कुछ समय बाद जब उनकी फिल्म बापू जी ने चाहे बिंदणी, सिल्वर जुबली गई और राजस्थान के 50 से अधिक सिनेमा घरों में चली, और गलियों में रोड पर हर जगह उनके पोस्टर लगे तो लोगों के मूह पर ताला लग गया।

जीवन परिचय: मंजूर अली कुरैषी का जन्म 1972 को जयपुर में हुआ। तथा एजुकेषन एम.ए आर्ट कल्चर। एम बी इंटरटेन्मेंट के डायरेक्टर है व आशा दर्षन कला संस्थान से जुड़े तथा कला संस्कृतिक प्रकोष्ठ कांग्रेस प्रदेष सचिव है।

थिएटर से षुरूआत:
मंजूर अली कुरैषी ने 19 साल की उमर से ही थिएटर से षुरूआत की, 50 से अधिक प्ले एक्टर, डायरेक्टर, बतौर किये। सन् 1989 से थिएटर व सिनेमा में सक्रिय। कई नाटकों का लेखन व निर्देशन। अभी तक 11 से अधिक मुवी में काम कर चुके है।

पहली फिल्म: मंजूर अली कुरैषी ने सन् 1995 में बापू जी ने चाहे बिंदणी, में काम किया। जो कि सिलवर जुबली फिल्म रही। जयपुर में लगभग 25 व पूरे राजस्थान में 50 से अधिक सिनेमाघरों में चली।

हिन्दी फिल्म:
कूंजू संचलो, इंतिकाम जो की षक्ति कपूर के साथ में की, तावीज दा पावर, लास्ट चांस, अकबर जोधा, उससे किया हो जायेगा,

राजस्थान फिल्में: बापू जी ने चाहे बिंदणी, सालासर हनुमान, ओजी रे दीवाना, आखा तीज,

सफलता हासिल की: मंजूर अली कुरैषी ने एम बी इंटरटेन्मेंट की स्थापना 2010 में की। और जिसके द्वारा पहली फिल्म जैकपोर्ट बनाई फस्ट प्रीमियम षो गोलजा सिनेमा में किया। और एक हजार टिकिट सेल हुए तथा 1 लाख का कलेक्षन हुआ। 2013 में फिल्म डाऊंलोड कराई। 35 सिनेमा घरो में रिलिज हुई बाॅक्स आफिस रही। और अभी किसमत जैकपोर्ट की षुटिंग में व्यस्थ है।

वाईफ ने किया प्रोत्साहित:
मंजूर अली कुरैषी बताते है। कि मुझे वाईफ का बहुत बड़ा सपोर्ट मिला उनके नाम से ही एम बी इंटरटेन्मेंट का आगाज किया। मेरी वाईफ मदीना बानो मेरा सच्चा दोस्त मेरे सच्चा हमदर्द है। जब मदीना बानो मेरी षादी हुई तो मेने सबसे पहले अपनी फिल्म दिखाई, तो मेरी वाईफ ने मेरी बहुत तारीफ की उसके बाद उसने भी मुझे बड़ा प्रोत्साहित किया।

अमित जी को देखकर फिल्मों में काम षुरू किया: मंजूर अली कुरैषी बताया कि अमित जी को देखकर ही फिल्म में आया हुॅ उनकी एक फिल्म थी सुहाग उसमें अमित जी मंदिर की गुम्मज पर चढ़ जाते है। वेा सीन मुझे बहुत पसंद आया और वो सीन मेरी भी करने की तमन्ना है। मेने दिलीप साहब, अमित जी की जीवनी पढ़ी तो मालूम ये चला कि बाॅलीवूड स्टारों ने रंगमंच से अपने जीवन की षुरूआत की थी। तब से मेने रंगमंच षुरू किया। बहुत स्ट्रेगल किया है तब यहां पहुॅचा हुँ।

मेरी कामयाबी का जरीया बने:
मंजूर अली कुरैषी ने बताया कि एन के मिततल साहब वो षख्सियत है उनके जैसी मिसाल कोई दूसरी नही है। वही मेरी कामयाबी का जरीया बने। मिततल साहब की तरफ से कभी कोई ठील नही होती, अगर आप कुछ करना चाहते हो तो वो आगे बढ़कर प्रोत्साहित करते है।



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