पत्रकार नईम क़ुरैशी - पत्रकारिता व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं : किरदार

पत्रकारिता व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं : किरदार

किरदार समाचार पत्र के संपादक, निर्भीक पत्रकार चिंतनषील निंबधकार अलहाज इफ्तिखारउद्दीन किरदार की प्रंसंगिकता आज भी बनी हुई है। यही कारण हैं कि इफ्तिखारउद्दीन आज भी हर स्वाभिमानी एवं राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक एवं कलमकार के प्रेरणापूंज बने हुए हैं।

20 जुलाई 1945 को राजस्थान के जयपुर षहर में जन्मंे अलहाज इफ्तिखारउद्दीन किरदार ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से सन् 1964 में पढ़ाई पूरी की। पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में पदार्पण करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा। किरदार समाचार पत्र के संपादक की भुमीका इमानदारी के साथ बाखुबी निभाई और पत्रकारिता को नयी ऊंचाइयां प्रदान की तथा किरदार मुस्लिम चैरेटेबल ट्रस्ट का भी आगाज किया।

उनकी प्रेरक जीवनी उन्ही की जबानी: किरदार समाचार पत्र का 1974 में संचालन किया। 1975 में कुछ परेषानी गुजरी जिसके कारण समाचार पत्र निकालने में दिक्कत आई उस वक्त मेरे पास 2 टेलिफोन हुआ करते थे जिसमें से मेने एक फोन को बेचकर अखबार षुरू किया उसके बाद मेहनत लगन के साथ लगे और सर्कूलेषन बढ़ाया और पूरा राजस्थान कवर किया।

समाज सेवा को माना सर्वोपरि:
अलहाज इफ्तिखारउद्दीन किरदार सहाब ने सन् 1999 में किरदार मुस्लिम चैरेटेबल ट्रस्ट का संचालन किया जिसकी चैयरप्रसन मोहतरमा हज्जन इकराम है व अलहाज इफ्तिखारउद्दीन किरदार सहाब इसके मेनेजिंग ट्रस्टी है। ट्रस्ट द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पहला प्रोग्राम 1999 को किया जिसमें आर.ए.एस मुकाबले के इम्तिहान के लिए 25-25 हजार रूपये 11 बच्चों को दिये। तथा बेवाओं को सिलाई मषीने दी। हाफिजे कुरआन बच्चों को ईनाम बतौर एक हजार रूपये दिये। झूनझुनू, कूकस, सीकर, चाकसू, सहित अनेक जिलो में निःषक्त लोगों का सहारा बने। तथा कमजोर परिवार वालो की बच्चीयों की षादी के लिए 11 हजार रूपय दिये तथा इसका कोटा बढ़ाकर वर्तमान में 11 से 13 हजार कर दिया है।

व्यवसाएं: अलहाज इफ्तिखारउद्दीन किरदार सहाब पब्लिकेषन का व्यवसाएं भी है। जिसके माध्यम से भी समाज के लोगो सेवा कर रहे है। उन्होंने बताया कि पब्लिकेषन का व्यवसाएं जब षुरू किया तो षुरूआत में हमने एक लाख हज गाइड किताबें हाजियों को निःषुल्क वितरण की और अभी भी सिलसिला जारी है। इसके अलावा दीनी किताबे भी जैसे नामाज की किताबें गोसेपाक की किताबें भी वितरण करते है तकि मुस्लिम क्षेत्रों दीन का महौल बने।

हाॅबिज: बुक्स, किताबें, अखबार पढ़ना।

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