पत्रकार नईम क़ुरैशी - राजस्थान के लोकप्रिय नेताओं में शुमार: माहिर आजाद


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राजस्थान के लोकप्रिय नेताओं में शुमार: माहिर आजाद

 
जयपुर -हाजी अब्दुल सलाम जिनकों षिक्षा के क्षेत्र में हर पढ़ा लिखा इन्सान जानता है। उन्होनें लम्बे समय तक षिक्षा व विकास के क्षेत्र में अपना पूरा योगदान दिया तथा गरीब बच्चो के लिए षिक्षा के क्षेत्र में चैमुखी विकास किया राज0 उर्दू अकादमी की तरफ से बच्चों को उर्दू के लिए प्रोत्साहित किया उर्दू जुबान को हर आदमी के लिए आम बनाने के लिए उन्होने जिन्दगी के आखरी लम्हे तक संघर्ष किया। और अपने घर में भी षिक्षा की और पूरा ध्यान रखा और 1957 में अब्दुल सलाम साहब के घर जो चिराग रोषन हुआ उसकी रोषनी से पूरा घर इल्म से रोषन हुआ जिसका नाम मोहम्मद माहिर आजाद जिनकी पहचान आज किसी की मोहताज नही है। वर्ष 1990 से 1992 तक विधायक -झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1998 से 2008 तक विधायक भरतपुर विधानसभा और इसके अलावा आज भी बड़े-बड़े पदो पर है।
 
राजस्थान राज्य अल्पसख्ुयक आयोग के अध्यक्ष मोहम्मद माहिर आजाद की लोकप्रियता राजस्थान में जनता बाखूबी जानती है। सामाज सेवा के क्षेत्र को निःस्वार्थ सर्मर्पित साफ सुथरी छवि के नेता किसे पसंद नही आते लोगो बीच रह कर उनकी बात सुनना उनके दर्द को आपना समझ कर दूर करना ऐसे अच्छे नेता की चाहत सभी को होती है अपने क्षेत्र ही नही बल्कि कही पर भी माहिर साहब को यह महसूस हुआ कि यहां मेरी जरूरत है तो उन्होने कभी पीठ नही दिखाई समाजिक कार्यो के अन्तर्गत आपने सभी वर्गो के लिए कार्य किये। पार्टी को सहयोग के साथ-साथ आपने अपनी जनता का भी पूरा-पूरा ध्यान रखते है कि उनकी उम्मीदो पर खरा उतर रहा हुॅ या नही इसके अलावा माहिर अजाद समाज में अपनी सक्रियता विबिध समाजिक सांस्कृतिक एंव षैक्षणिक संस्थओं व संगठनो में भुमीका सक्रिय सहभागिता रहती है। तथा समाज में फैली बुराइयों एंव छुआछूत जैसी बुराइयो का आप हमेषा विरोध करते आये है तबि आज काग्रेंस पार्टी के प्रमुखों में उनका नम्बर आता है। तथा राज0 के विकास कार्यो में सदैव वो आगे रहे है। 
 

माहिर आजाद साहब का कहना है मुझे समाज सेवा करने कि षिक्षा मुझे मेरे माता पिता से मिली है मेरे पिता जी षिक्षा अधिकारी थे और माता जी आज 80 वर्ष की उमर हो कर भी उन्होने रमाजान के महीने मे दो दिन में एक कुरआन षरीफ पूरा क्या है और मेरी अहलिया ने भी जब से मेरी षादी हुई है तब से आज तक कोई नमाज तर्क करते हुअ मैने नही देखा उस पर्वरदिगार का लाख-लाख षुक्र है और आगे माहिर साहब कहते है, लोग मुझे नही मेरे काम पसंद करते है मैनें लोगों की हर तरीके से मदद की कोषिष की है सामजिक क्षेत्र में भी कई महत्पूर्ण योगदान दिया। हमने गरीब बच्चो को फ्री षिक्षा दिलाई एंव गरीबों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कलरषिप की नई योजनाए बनाई तकि षिक्षा के क्षेत्र में चैमुखी विकास हो सके तथा षिक्षा से कोई महरूम नही हो सके। गरीब बच्चो को अच्छे अंक लाने पर लेपटाप आदि की सहायता करके उनके कालेज के रास्ते खोले और एक संदेष नौजवानो देना चाहते है कि वो एक जुट होकर देष की सेवा करे तकि देष आगे बढ़ सके, हमारे देष मे आपसी त्यौहार यही संदेष हमे देते रहते है कि हम एक ही डोर से बन्धे है, वो है एकता भाई चारा जो हमे कभी टूटने नही देगी।  

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