पत्रकार नईम क़ुरैशी - मेहनत, लगन, कोशिश और दृढ़ संकल्प से मिली सफलता।

मेहनत, लगन, कोशिश और दृढ़ संकल्प से मिली सफलता।  
 
कहते है एक चुटकी आत्मविश्वास, साथ में चम्मच भर कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प, उसमें अगर अपनों का साथ घुल जाये, तब जा कर बनती है, सफलता की सही रेसिपी। ऐसी ही है राजकुमार सांवलानी की जीवनी जिन्होेंने अपनी मेहनत, लगन, और दृढ़ संकल्प, से सफलता हासिल की और अपनी एक अलग पहचान बनाई।
 
सदियों से लेकर आज तक तमाम भारतियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बनायी है चाहे वो व्यापार हो या विज्ञानं, कला हो या अनुसन्धान, राजनीति हो या देशभक्ति, खेल-कूद हो या मनोरंजन, कुछ खास व्यक्तियों ने अपनी प्रतिभा, लगन और मेहनत से ऐसा मुकाम हासिल किया जिससे उनका नाम हमेशा के लिए प्रसिद्द हो गया। अपने ‘प्रसिद्द भारतीयों’ की श्रंखला में एक ऐसा ही नाम है राजकुमार सांवलानी, जिन्होंने शिक्षा प्रसार और समाज सेवा को अपने जीवन का आधार बनाया। जिसके लिए वह गरीबों व असहायों की सेवा में लगे हुयें हैं। राजकुमार सांवलानी करीब दो सो बच्चो को निःषुल्क षिक्षा दे रहे है। षिक्षा विस्तार, तथा देष की उन्नती के लिए इन्होने राजस्थान के कोने-कोने में कई काॅलेज खोल रखें हैं।

 

देश के बटवारे के समय पाकिस्तान से आने वाले सिंधीयों के लिए जयपुर सिंधीकैम्प पर कैम्प लगया गया। तभी से इस स्थान का नाम सिंधी कैम्प पड़ा। जो आज भारत के जयपुर में यह स्थान सिंधीकैम्प के नाम से ही विख्यात है। उसी समय राजकुमार सांवलानी के दादा जी भी यही पहुचे थे और यही सभी सिंधीयों को मीनिमम चार्ज पर प्लाॅट अलाॅट कर दिये गये थे। षुरूआत में उन्होंने कपड़े की आड़त का काम षुरू किया। तथा कई जगह ब्रांजे भी खोली, लेकिन बड़ी दिक्कते आई, नये काम और नये स्थान पर षुरू में दिक्कते आना भी स्वभाविक है। और जब व्यवसाये का विस्तार हो रहा था। तो उस समय उनका स्वर्गवास हो गया, तथा कुछ वर्ष पश्चात उनके पिता जी का भी स्वर्गवास हो गया था। जिसके कारण राजकुमार सांवलानी पर भी ऐसा वक्त गुजरा था जब उनको भी चाय का काम करना पड़ा था। तब व बहुत छोटे थे लेकिन उस समय भी उनके बुलंद होसले थे। तथा अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने एक होस्टल बनवाया और सफलता की ओर अग्रसर हुएं। जयपुर में आज उनके पास 6 होटलें है। जो की लीज पर ली हुई है।

                    वेलेंटाईन डेय के दिन पैदा हुए बने मिसाल
राजकुमार सांवलानी का जन्म भी एक मिसाल है क्यूंकि जिस दिन व पैदा हुव वो दिन वेलेंटाईन डेय था, प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है। 14 फरवरी 1970 को जयपुर में जन्म हुआ। तथा उन्होंने एमबीए नीदरलेंड से किया। 


वर्तमान स्थिति: सिंधी पंचायत, सी.स्कीम के अध्यक्ष है। मानव आयोग के पुर्व सचिव रह चुका है, तथा पुर्व में मानसरोवर विधानसभा से निर्दलय चुनाव भी लड़ा है। राजकुमार सांवलानी दवाएं व जरूरतमंद लोंगों के लिए व्यय करना ही अपना धर्म समझते हैे। शहर के प्रत्येक धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम में वह अग्रणी होकर लोंगों की सेवा करने में लगे है।

            जानवरो के लिए कैम्प लगवाकर क्षेत्रवासियों दी राहत
हालिया में उन्होंने जैसलमेर में होटल लिया है, जिसमें वहां सबसे पहले जानवरो के लिए कैम्प लगवाया है। जैसलमेर एक ऐसा क्षेत्र है जहां अधिकतर परिवारों का कार्य सैलानियों को ऊंट से सैर कराना होता है जिससे उनका घर परिवार चलता है। तथा ऊंटों में अनेक बिमारीया ऐसी होती है जिनका खर्च उठाना मुष्किल होता है। इस बात से राजकुमार सांवलानी अवगत हुए और उन्होंने जानवरो के लिए वहां एक निःषुल्क कैम्प लगवाया। जयपुर से ही उन्होंने डाॅक्टारो की विवस्था की। इस कैम्प से वहां के क्षेत्रवासियों को बहुत राहत मिल रही है।


उपलब्धि: निःषुल्क दवा वितरण हेतु अनेक मेडिकल कैम्प लगवाये। 25 कन्याओं का हर वर्ष विवाह करवाते है। एम.आई रोड, वाटीका, दूदू रोड, सहित 8 नये मंदिरों का निर्माण करवाया है। उनमें झूलेलाल की मूर्ती स्थापित करवाई। राजस्थान के जयपुर सीतापुरा, सीकर, लक्षमनगढ़, बांसवाड़ा, दूदू, सावर्दा, सहित अनेक जिलो में 12 काॅलेज है। तथा करीब दो सो परिवारो का घर चलाते है उनको राषन व अन्य जरूरी चीजे मुहिया कराते है।

आपकी आगे की योजना किया है? जैसलमेर में एकता सदभावनां नजर आती है वहां मुस्लिम सिंधी, और सिंधी उर्दू बोलते है ये अपने आप मे एक मिसाल है मुझे वहां जाकर बड़ी खुषी होती है। और मेरी वहां मंदिर बनवाने की इच्छा है।

समाज सेवा तथा व्यवसाय करना किससे सीखा और आपके गुरू कौन है?
मेरे गुरू मेरे माता-पिता रहे, समाज सेवा उन से ही सीखी। सिंधी व्यापारी होते है उनको व्यापार की परख होती है। व्यापार हमारे खून में होता है। तथा समय बड़ा बलवान है वो सब सिखा देता है।

आपको दूसरों की मदद से किया प्राप्त हुआ है? मुझे सम्मान मिला जीवन का उद्ष्य मिला, दूसरो की मदद करके मुझे जो अनन्द मिलता है, में वो आपको बता नही सक्ता। एक भूके को सामने बेठाकर खाना खिलाकर देखो केसा महसूस होता है और किया मिलता है।

आपके परिवार के बारे में बताये? 
अपनी पत्नी की तारीफ करते हुए राजकुमार सांवलानी ने बताया कि व मुझसे से कांधे से कांधा मिलाकर चलती है। मेरे अच्छे कर्मो का फल है, और वो है तो में हुँ। षुभांगना राज सांवलानी उनका नाम है, मेरे दो बच्चे है एक नाम है वीर और दूसरे का नाम है मीर सांवलानी है।

आपकी पसंद किया है? समाज सेवा करने व मेहनत व लगन से पैसा कमाने तथा इम्पोटेंट गाड़ियो का बहुत षौक है। अभी मेरे पास 8 गाड़िया है। झूलेलाल का आर्षिवाद है।

कितनी बार आप समाज द्वारा सम्मानित हो चुके है?
सभी सिंधी पंचायतों ने मुझे सम्मानित किया है। यह मेरी खुषनसीबी है कि वो मुझे सम्मान देते है। सिंधी रत्न, सिंधी सम्राट, सिंधी भामाषा से सम्मानित तथा लगभग अनेक संस्थाओं ने मुझे 90 बार सम्मानित किया है।
सिंधी समाज मुझे बहुत प्यारा है। और मुझे यह षहर तथा यह देष भी बहुत प्यारा है।

आपका कोई संदेश: उपर वाला एक है सबका मालिक एक है, इस ही लिए सब मिलजुल कर रहे। इस समय में पैसा बहुत बड़ी चीज है ये ना किसी को दो और ना किसी का खाओं। पड़ोसी का साथ अच्छा व्यहवार करे हंसी-खुषी जीयो और जीने दो, तथा जिन्दगी जियो लेकिन अपने माता-पिता के अदर्षो पर और उनका नाम रोषन करते हुए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

निस्वार्थ सेवा करने वाले जयपुर के लुकमान खान को मिला डॉ कलाम स्मृति एक्सीलेंसी अवार्ड

पत्रकार नईम क़ुरैशी - शेरवानी ने दी, गणतंत्र दिवस की प्रदेषवासियों को हार्दिक बधाई

पत्रकार नईम क़ुरैशी - न्यू एड एन फेस पत्रिका के पत्रकार नईम कुरैशी प्रियदर्शनी इन्दिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित