नईम क़ुरैशी - जानी-मानी शख्सियत अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी

    जानी-मानी शख्सियत अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी

 ईद-दिपावली मिलन जैसे समारोह आयोजन करवाकर एकता की मिसाल कायम करने वाले अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी राजस्थान जयपुर, की उन जानी-मानी षख्षियतों में से है जिनको पहचान की कभी जरूरत ही नही पड़ी। उसका कारण अषफाक अहमद का जनता के प्रति उनका कार्य, उनकी निस्वार्थ कर्म प्रबलता और उनका जरूरतमंदों के लिए दरियादिली प्रभाव। 





अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी का जन्म 1967 जयपुर में हुआ वर्तमान में डाॅ जाकिर सोषियल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के पिछले 15 वर्षो से अध्यक्ष हैै। अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी जयपुर ओल्ड टायर एसोसीएषन के अध्यक्ष भी है। और नये पुराने टायरो का कारोबार भी करते है पाॅच कंपनियों की रिलेषन षिप भी है, एम.आर.एफ. टायर, अपोलो, जे.के, सी.एट, व बिरला टायर से, तथा ट्रास्पोर्ट नगर अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी साहब की एक दुकान भी है जो कि हिन्द टायर के नाम से विख्यात है।

न कुछ हमने हंस कर सीखा न कुछ हमने रो कर सीखा,
जिंदगी से हमने जो कुछ सीखा वो बाऊजी के संग रहकर सीखा,
इन शेरो के साथ अपनी बात शुरू करने वाले अशफ़ाक अहमद क़ुरैशी ने बताया कि मैने अपने वालिद जनाब मरहूम हाजी मुश्ताक अहमद से ही सब कुछ सीखा है, वो 20 वर्ष तक जयपुर ओल्ड टायर एसोसीएषन के अध्यक्ष रहे। और जरूरतमंद लोगों की वो व्यक्तिगत रूप से उनकी दिल से मदद किया करते थे। उनका एक बहुत पुराना शेर  मुझे आज भी याद है। 

’’’जमाना तो हमें बड़े गौर से सुन रहा था, हम ही सो गये दास्ता कहते कहते’’’। 
यह शेर आज भी उनकी याद ताजा कर जाता है।
सालाना प्रोग्राम: ईद दिवाली मिलन समारोह व रोजा इफ्तार करवाना, मेडिकल कैम्प, आई कैम्प, ब्लड कैम्प आदि तथा अषफाक अहमद साहब जरूरतमंद लोगों के लिए हर वर्ष करीब 100 जोड़ो का विवाह सम्मेलन भी करवाते है, वो भी मात्र 11 रूपये में, जिसमें जरूरत का सभी सामान संस्था की ओर से दुलहा-दुल्हन को दिया जाता है।

डाॅ जाकिर सोषियल एण्ड वेलफेयर सोसायटी द्वारा होने वाले प्रोग्रामों में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है, बल्कि उसको सफल बनाने में उनका पूरा सहयोग भी करते है। जिस तरह हर व्याक्ति निस्वार्थ भाव से अपने परिवार की तन,मन, धन से समर्पित होकर पूर्ण रूप जिम्मेदारी/दायित्व उठाते हुए सेवा करता है। उसी प्रकार अषफाक अहमद कुरैषी समाज के लिये सौच विचार करते है। तथा समाज के प्रति अपने कर्त्वयों का निर्वाह करते हुए समाज सेवा को एक जिम्मेदारी के साथ निभाते है। और अषफाक अहमद साहब का कहना है कि यह सब कुछ करके मन को सुकून मिलता है और मेरा असल मकसद खुदा को राजी करना है



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