पत्रकार नईम क़ुरैशी - महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा


                    महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा


कहते है कामयाब महिला वह नही होती है जो किसी बड़े पद पर हो बल्कि वह महिला होती है जिसने अपने परिवार को खुष रखा तथा जिसने अपने पद की गरीमा के साथ-साथ अपने परिवार की प्रतिष्ठा बनाये रखा हो। ऐसे ही व्यात्तित्व की धनी श्रीमती डाॅ. स्नेहलता भारद्वाज है। 

श्रीमती स्नेहलता भारद्वाज का जन्म 1975, कोटा में हुआ। ऐजुकेषन जयपुर में ही ली, बचपन से ही पढ़ना, और समाज सेवा ही लक्ष्य था, महारानी काॅलेज से ग्रेजुएषन किया। श्रीमती स्नेहलता का बचपन पूरा अभाव में गुजरा है। जब चार वर्ष की थी तब उनकी माता की मृत्यु हो गई और जब वे दसवी क्लास में थी तब पिता का भी स्वर्गवास हो गाया था। जिंदगी संघर्ष का दूसरा नाम है। यहां सुख और दुख दोनों है। जिंदगी की डगर बड़ी ही कठिन है। इसी कठिनाईयों से गुजरने वाली श्रीमती स्नेहलता की लाइफ में भी कई उतार-चड़ाव आये लेकिन वे कभी डगमगाई नही।


कठिनाईयों से मिली प्रेरणा: यह सच है कि मेरी लाईफ में काफी कठिनाई आई, लेकिन एक सच यह भी है कि चुनोतियों और जिम्मेदारियों से घबरा कर बैठे जाने से बेहतर आगे बढ़़कर उसे पूरा करना है। मैने अपनी लाईफ में बहुत स्ट्रेगल संघर्ष किया है, और उसी से बहुत कुछ सीखा है। और जो कुछ मुझे अपने जीवन में नही मिला है वही में दूसरों को देना चाहती हुॅ। मैं आपने स्टूडेंट व बच्चों से भी यही कहती हुॅ कि आज भले ही स्थितियां अनुकूल न हों, लेकिन यदि मन में आगे बढ़ने की ललक है और कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो कोई भी राह मुष्किल नही है।

पति का मिला सहयोग: वर्ष 1995 में स्नेहलता जी की षादी भानपुर कला, निवासी राजेष भारद्वाज से हुई। वह कहती हैं, मेरे हर निर्णय को मेरे पति ने प्रोत्साहित किया और भरपूर सहयोग दिया आज अगर में इस मुकाम पर हुॅ तो उनके ही समर्थन की वजह से हुॅ वे मेरे साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहते है। आज मेरा खुषहाल परिवार है, और मेरे दो बच्चे है, बेटी फस्र्टियर में है, व ज्वेलरी डिजाइनर भी है। बेटा दसवी में और अच्छा डांसर भी है अभी हाल ही में एक कामपिष्न। मुझे अपने बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाना है।

सामाजिक सरोकारों का होना जरूरी: सरस्वती विद्यापीठ सीनियर सैकेण्डरी स्कूल की प्रिंसिपल हुॅ, व अपने स्कूल में ऐसे कई बच्चों को भी पढ़ाती हुॅ, जो बहुत गरीब तबके के है या उनके सर पर माता या पिता का साया नही है। तथा अनाथाश्रम के बच्चों को भी निःषुल्क पढाती हुॅ। जो महिलाएं पढ़ी लिखी नही है, तो ऐसी महिलाओं की भी क्लास लगवाती हुॅ, और खुद पढ़ाती हुॅ। उनको साईन करना खुद का नाम तथा परिवार का नाम लिखना फार्म, व चिटठी वगेरा लिखना पढ़ना सिखाती हुॅ। इसके अलावा मेहंदी, सिलाई, कड़ाई, बुनाई, की भी क्लास लगवाती हुॅ जिसका कोई चार्ज नही लिया जाता है। अभी कन्या भ्रूण हत्या पर, तथा बेटी बचाओ बेटी पढाओं पर रेली भी निकाली है। और में यूवा भारत संगठन व परवीण लता संस्था से भी जुड़ी हुॅ, इनके द्वारा भी अनेक सामाजिक कार्य किये है, तथा फियूचर में मैं ऐसे बच्चों के लिये जो किसी कारर्ण वर्ष बढ़ाई अधुरी छोड़ देते है उनके लिये मेरा एक काॅलेज खोलने का विचार है। क्यूकि कई बार मुझसे उन बच्चों के पैरेन्टस भी ये बात कह चुके है, जो बच्चे मेरे स्कूल में पढ़ते है, उनको एडमीषन में कई तरह की समस्याएं आती है।

सम्मानित: अभी हाल ही में 18 व्यक्तियों को समाज रत्न से सम्मानित किया गया। जिसमें में केवल एक महिला ही वे भी पूरे राजस्थान से षिक्षा के क्षेत्र मे समाज रत्न से सम्मानित हुई हुॅ। बैस्ट प्रिंसिपल का भी अवार्ड मिला है। मनीपाल यूनिवर्सिटी तथा सिंपली जयपुर से भी बैस्ट प्रिंसिपल के सम्मान से नवाजी गई हुॅ।

हाॅबी: मुझे लिखना बहुत पसंद है, गाने सुनना पसंद है, समाज सेवा करना भी, मैने अपनी मदर के बारे में दूसरों से सुना है कि वो सभी के लिये तत्पर रहती थी किसी को ब्लॅड की जरूरत होती तो वे मेरे भाई यानी अपने बेटे को आगे कर देती थी, कि यह मेरा पुत्र है, इसका ब्लॅड लेलो। यही वजह है कि में अपनी मदर की सामाजिक सेवाओं से प्रेरित हुॅ। और मेरी हाॅबी फस्र्ट समाज सेवा है।






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