पत्रकार नईम क़ुरैशी - हकीकत में सम्मान की हकदार है ये मां

            हकीकत में सम्मान की हकदार है ये मां



इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है। मां बहुत गुस्से में हो तो रो देती है।
सख्त राहों में आसान सफर लगता है। ये मेरी मां की दुआओं का असर लगता है।
मां पर लिखी दुनिया के प्रसिद्ध षायर मुनव्वर राना की ये पंक्तियां आखें सलज कर देती है। दिल यही कहता है मां तुझे सलाम। राजस्थान के जिले जयपुर में एक ऐसी ही मां है, जिसकी दास्तां पढ़कर आप भी कहेंगे मां तुझे सलाम


जयपुर में रहने वाली कैसर जहां आज मुस्लिम समाज के लिए एक मिसाल हैं। कैसर जहां कभी स्कूल नही गई और उनके पति हाजी अब्दुल गफ्फार पारस ने भी 8वी तक ही पढ़ाई की लेकिन उन्होंने अपने 8 बच्चों को ग्रेजुएट बनाया। चुड़ियों का काम करके हाजी गफ्फार साहब ने हज भी किया और बच्चो को अच्छी तालीम भी दी। अपने बच्चो में कभी फर्क नही किया कैसर जहां के पाॅच लड़की व तीन लड़के है उन्होने बराबर से अपने बच्चों में तालीम दी। जहां हमारे समाज में लड़कीयों को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है, वही इस महिला ने अपने तीन बेटों व पाॅच बेटियों को भी ग्रेजुएट बनाया और अच्छे संस्कार दिये। सलाम है ऐसी मां को।
हाजी गफ्फार साहब के गुजर जाने के बाद कैसर जहां ने अपने ही दम पर अपने बच्चों की अच्छी जगह षादी की और आज उनकी उम्र 75 वर्ष है। उनके पुत्र हाजी अब्दुल रज्जाक पारस बतातें है हमने कई बार उन्हे चूड़ी कार्य करने से मना किया है लेकिन वे खुद्दार मां है काम नही छोड़तीं है व आज भी काम करती है।

हाजी अब्दुल रज्जाक पारस का 1 अगस्त 1978 में जन्म हुआ तथा बी.एस.सी, एल.बी.एस. काॅलेज से की व बेंगलोर से डी फार्मा किया। खुद की एक मेडिकल की दुकान है, व बताते है पिता से ही सीखा है, दूसरो की मदद करना, और मां ने अच्छी  तालीम दिलाई है, बड़ी मेहनत और मजदूरी करके हमें पाला है, मेरे बड़े भाई का भी मेडिकल स्टोर है, वे एक भाई खुद का कारोबार है। खुदा का षुक्र है हमें ऐसे मां-बाप मिले हम बढ़े खुषनसीब है।

पूछने पर हाजी अब्दुल रज्जाक पारस ने बताया हमारे मेडिकल स्टोर पर कई ऐसी महिलायें आती है जिनके पति नही है या किसी कारण वर्ष दवाई नही खरीद सकती है तो ऐसे परिवारों को निःषुल्क दवाइयां रेगूलर दे रहा हुॅ। तथा किरदार चैरीटेबल ट्रस्ट में पिछले दो वर्षो से महासचिव हुॅ। अभी हाल ही ट्रस्ट के द्वारा मेरीट में अव्वल आने वाली 201 लड़कीयां को प्रोत्साहित किया है। ट्रस्ट द्वारा ही हर वर्ष महिलाओं को 101 सिलाई मषीन निःषुल्क दी जाती है। तथा 501 कम्बल वितरण किये जाते है।


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