पत्रकार नईम क़ुरैशी - श्री पदमचंद जैन जी का प्रेरक व समर्पित जीवन

                       ’’’खास मुलाकात’’’
      श्री पदमचंद जैन जी का प्रेरक व समर्पित जीवन
 पदमचंद जैन जी की संघर्ष करती जीवन यात्रा
एक कामकाजी पुरूष के लिए उसका संघर्ष कभी खत्म नही होता, फिर चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, कोई भी कार्य क्यों न कर रहे हों। न सिर्फ सफलता के पथ पर बल्कि सफल होने के बाद भी उसे संघर्ष करना ही पड़ता है। पदमचंद जैन जी ने बचपन से ही संघर्ष करते आये है। पदमजी मूलतः जैसलमेर के रहने वाले हैं। इनके पूर्वज पाकिस्तान के रहने वाले है व आजादी से पूर्व दिल्ली के पास हापुड़ आकर रहने लगे। इन्होने षिक्षा हापुर में ही पूरी की। जब सात साल के थे, तो पिता का देहांत हो गया। उनके सद्गुणों व व्यापारिक कौषल का इन पर बड़ा प्रभाव रहा। ऐसे मुष्किल हालात में उन्होंने स्वंय अपने बलबूते पढ़ाई की और व्यवसाय भी संभाला। उन्नीस वर्ष की आयु में मां चल बसीं। अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए इन्होंने अपनी संघर्ष यात्रा जारी रखी, और आज वह लोगों की समस्याओं को हल करवाना उनका पहला कत्र्तव है। पदमजी मजबूत इरादों व संकल्प-षक्ति से भरपूर है। खुषमिजाज तथा मिलनसार व्यक्तित्व से वे वातावरण में ऊर्जा भर देते हैं और टीम में कार्य करने की उमंग से भरपूर है। पदमजी बताते हैं लोगों की आवाज को बुलंद कर उनकी परेषानी को दूर करना ही मेरा एकमात्र उद्देष्य रहा है।
पदमचंद जैन जी खासियत
साफ मन व नेक दिल वाले पदमचंद जैन मानवता को सर्वोपरि मानते हैं अपनी टीम के हर व्यक्ति को साथ लेकर चलना व उनकी जरूरतों व किसी भी जरूरतमंद गरीब असहायो के लिए हर समय निःस्वार्थ भाव से मदद के लिए तत्पर रहना उनकी खासियत है।

पदमचंद जैन जी के सफलता के सूत्रः
एक अच्छे पुत्र, एक अच्छे पिता, एक अच्छे पति और पत्नी, एक अच्छे मित्र, एक अच्छे पड़ोसी, एक अच्छे बाॅस, एक अच्छे लीडर, और एक अच्छे नागरिक बनने से पहले एक अच्छा इन्सान बनना जरूरी है। जब आप एक अच्छे इन्सान बनते है तो सारी अच्छी षक्तिया अपकी सफलता में योगदान देना षुरू कर देती है, आपके साथ सब कुछ अच्छा होना षुरू हो जाता है, अगर कोई चुनौती या समस्या आपके सामने आती भी है तो आप उसे बड़ी आसानी से पार कर जाते है, मेहनत वह सुनहरी चाबी है, जो भाग्य के द्वार खोल देती है और सफलता के लिए कोई षाॅर्ट कट नही होता है इसलिए जो भी काम करो, पूरी इमानदारी मेहनत व दिल लगाकर और सकारात्मक सोच के साथ पूरी तरह डूब कर करो, सफलता अवष्य आपके कदम चूमेगी।


पदमचंद जैन जी के सामाजिक कार्यों का विष्लेक्षण।
जयपुर आने से पुर्व तीन साल तक पूरे देष में घूमे और जाना कि लोग किन समस्याओं से जूझ रहे है, उनकी समस्याएं क्या है, और समाधान किस प्रकार हो सकता है, इसी विचार के साथ पदमजी ने 24 जून 2001 को जयपुर लौटकर आईजेवीओ-इंटरनेषनल जैन एंड वैष्य आॅर्गेनाइजेषन षुरू किया। जहां एक ही मचं पर विवाह, रोजगार आदि मुद्दों का हल किया जा सके। व आईजेवीओं के संस्थापक व सचिव हैं। पदमजी महावीर इंटरनेषनल जैन सोष्यल ग्रुप व भारतीय जैन मिलन समिति के सदस्य हैं। वर्तमान में इंटरनेषनल जैन एंड वैष्य आॅर्गेनाइजेषन की विदेष में 12 एवं भारत में 40 जगहों पर षाखाएं हैं। इन षाखाओं में वैवाहिकी, एंप्लायमेंट, विधवा पेंषन व सभी प्रकार की सामाजिक समस्याओं को सुलझाने का कार्य किया जाता है।


पदमचंद जैन जी आपका विवाह कब हुआ तथा आपका अधिकतर समय समाज सेवा के कार्यों में व्यतीत होता है कभी परिवारिक नाराजगी से भी मुखातिब होना पड़ता है आपको.?

श्रीमती नीरा जैन के साथ 1971 में विवाह हुआ, जिन्होंने इनके सामाजिक-व्यावसायिक कार्यो में बिना दखल दिए इनका भरपूर सहयोग दिया व हर समय में साथ निभाया।
हाॅ पहले कभी कभी ऐसा हुआ है। लेकिन अब बच्चे बड़े हो गए है समझदार है सभी अपने कार्यों में व्यस्त है और वो अब जान गए है की मै इन सब के बिना नही रह सकता। समाज के लोगों की समस्याओं को सुलझाने में मुझे बहुत सुकून मिलता है। इस बात को समझ गए है।


पदमचंद जैन जी आपकी उपलब्धियां व योजनाओं के बारे में बताऐं

14000 से ज्यादा रिष्ते कराए। 1200 से ज्यादा लोगों को नौकरियां दिलवाई। 23 विवाह परिचय सम्मेलन कराए। 25 निराश्रित विधवाओं को प्रतिमाह पेंषन एक वर्ष तक। 25 प्रतिभावान छात्रों को प्रतिमाह छात्रवृत्ति। प्रतिवर्ष समाज के अग्रणी लोगों का सम्मान समारोह। समाज की प्रेरणादायी महिलाओं का सम्मान समारोह। समाज के प्रतिभावान युवाओं, डाॅक्टर्स, सीए एवं इंजीनियर्स का सम्मान। नाक, कान, गला-निःषुल्क चिकित्सा केंद्र स्थापना। धर्म क्षेत्र, संघ समाज सेवा में हमेषा तत्पर। समाज की एकता के प्रभावी प्रयास। राजनैतिक, न्याय व प्रषासनिक कार्यों के लिए निःषुल्क सलाह। चिकित्सा सहायता।

पदमचंद जैन जी का समाज के लिए संदेषः
समाज को बांटने वालों को नजर अंदाज करें। समाज के सभी वर्गो को एक करें, उनमें एकता कायम करें। बच्चों को षिक्षा दें तथा उनमें समानता का भाव पैदा करें। नौजवानों को एकत्र करें व उनमें हिन्दू मुस्लिम एकता का भाव पैदा करना। जय हिन्द जय भारत

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