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पत्रकार नईम क़ुरैशी - सिंगर बाय पैशन, शायर बाय हार्ट, डाॅक्टर बाय सेरेंडीपीटी: डाॅ अरूण शर्मा

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सिंगर बाय पैशन, शायर बाय हार्ट, डाॅक्टर बाय सेरेंडीपीटी: डाॅ अरूण शर्मा   ‘‘कोई कवि नहीं हूं मैं, कोई शायर भी नही हूं मै, बस दिले-ए-दास्तां को मैंने अपने शब्दों में सजाया है, पर वो कहते हैं अरूण इस उम्र में रचना में दर्द अच्छा नही लगता, जो क्या करें अगर इसी दर्द ने ही हमें लिखना सिखाया है’’ डाॅ अरूण शर्मा पर ये शायरी फिक्स बैठती है। दरअसल ये शब्द उनके ही लिखे हुए है। डाॅ अरूण शर्मा  को शुरू से ही गायकी के साथ शायरी का भी शोक था लेकिन उनके पिता उनको डाॅक्टर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने पिता का कहा मानते हुए बड़ी मुष्किल से मन को मनाया कि डाॅक्टर बने फिर कड़ी मेहनत की साथ में कोचिंग भी शुरू करदी और फिर मेहनत और लगन से पढ़ाई की और ठान लिया कि डाॅक्टर ही बनना है। जिद की और डाॅक्टर बन गये। लेकिन उस समय भी गायकी का जो शोक था उसे भी नही छोड़ा और हर रोज एक घंटा रियाज करते थे।    डाॅ अरूण शर्मा का जन्म मथूरा में सन् 1982 को हुआ। उनके पिता श्री विरेन्द्र कुमार  शर्मा यू.पी गवर्नमेंट जाॅब में थे। डाॅ अरूण शर्मा का स्कूल केन्द्रीय विद्यालय मथूरा रहा, व मदरास मेडिकल काॅलेज से ग्रेजुएशन

पत्रकार नईम क़ुरैशी - प्रेरणादायक उद्धरण है डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जीवनी

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पैरों से लाचार, हौसलों से नहीं। प्रेरणादायक उद्धरण है डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जीवनी यदि हौसला हो तो सपनों की उड़ान भरने के लिए पंख अपने आप लग जाते हैं. फिर उसके सामने दिव्यांगता जैसी बाधा बहुत छोटी नजर आती हैं. कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है डाॅ तनवीर ने जो पैरों से भले ही लाचार हो लेकिन अपने हौसलों के दम पर मुसीबतों का डटकर मुकाबला करते हुए वो डाॅक्टर बने, इस सफलता की खुशी जितनी उनको है। यकीनन अगर आज उनके माता-पिता जीवित होतें तो उनसे ज्यादा खुषी किसी ओर को नही होती।  डाॅ तनवीर की संघर्ष भरी जिन्दगी की कहानी, उन्ही की जबानी: मैं हेंडी कैप हुॅ, मेरे दोनों पैरो में पोलियों है, डाॅक्टर की लाईन मेरे लिए बहुत टफ थी, मैने जब 10वीं क्लास की तो साइंस लेना ही मेरे लिए बहुत बड़ा टास्क था लेकिन मेरे घर वालो का क्रेज था जो मुझे लेनी पड़ी। मै जब केमिस्ट्री लैब में जाता था तो वहा खड़े होकर केमिकल रिएक्षन करने होते थे, इस तरह की समस्याएं बहुत आई। कई परिचित. व दोस्तों ने कहा कि तुम नही कर पाओगें इस लाइन को छोड़ दो, तो उस समय मेरे लिए भी यह बहुत बड़ा चैलेंज था वास्तव में ये बहुत बड़ा चैलेंज था। कि

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