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पत्रकार नईम क़ुरैशी - देश और जनकल्याण को समर्पित जीवन

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 देश और जनकल्याण को समर्पित जीवन विद्वानों ने जन सेवा तथा परोपकार को जो भगवद्भक्ति कहा है वह ठीक ही है। जिस मनुषय के हृदय में जन जन के लिये प्रेम का प्रवाह बह रहा होगा वही जन सेवा में प्रवृत्त होगा। उनके हृदय में निवास करने वाला यह प्रेम ही परतात्मा रूप है। जन-सेवा के माध्यम से मनुष्य इसी हृदयस्थ प्रेम को परितृप्त करता है, और इस प्रकार वह परमात्मा को ही भक्ति करता है। यूवाओं के लिए प्ररेणा का पर्याय बन चुके श्री अनिल लोहाना। प्रखर बुद्धि और बेबाक विचारों के धनी श्री अनिल लोहाना मानों जैसे उनहोनें अपना पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया है। मां के संस्कार जीवन की नींव मजबूत करते हैं। तो वहीं पिता की प्रेरणा जीवन को सही दिषा और उंचाइयां प्रदान करने में सहायक होती है। तभी तो कहते हैं इस दुनिया में माता-पिता ही भगवान का रूप होते है। आज भले ही उनके मां बाप इस दुनिया में नही है, लेकिन अनिल लोहाना आज भी उनका नाम रोषन किये हुवे है, उन्होने अपने माता पिता के नाम पर एक ट्रस्ट बनाया और इसी ट्रस्ट द्वारा मंदिर भी बनवायें और यही नही उन्होने सो के करीब निःशुल्क चिकित्सा व रक्तदान शिविर आयोज