संदेश

नवंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पत्रकार नईम क़ुरैशी - पुर्व सांसद महेष जी भाई साहब से सीखा सभी धर्मों का सम्मान करना। करीम कुरेशी

चित्र
पुर्व सांसद महेष जी भाई साहब से सीखा सभी धर्मों का सम्मान करना। करीम कुरेशी किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे कडी मेहनत, लगन, डेडीकेषन के साथ- लक फैक्टर भी होता हैं। और जिन लोगों को अपने भाग्य का साथ मिल जाता है, वे कभी पीछे मुड़कर नही देखते। जयपुर में जन्मे अब्दुल करीम कुरैषी समाज के प्रति निष्ठा एवं लगन अब्दुल करीम कुरैषी को मुस्लिम महासभा मे तीसरी बार षहर जयपुर अध्यक्ष बनाया गया।  पिता अब्दुल कय्यूम से मिली प्रेरणा उन्होनें बताया कि हुवा यू मेरे पिता जी कई बार कहते थे बैटा दूसरो के लिये जीना सीखों, खुद के लिए सब जीते है इंसान वही है जो दूसरो के लिए जीता है। तब मेरे दिल से आवाज आई और मुझे पिता जी से जन सेवा की प्रेरणा मिली जब से में समाज सेवा में लगा हुॅ। पूछे गये सवाल के जवाब में अब्दुल करीम कुरैषी ने बताया कि हम खानदानी कांग्रेसी है, जब तक हमारे भाई साहब महेष जोषी जैसे नेता पार्टी में है, जब तक हम पार्टी से जुड़े रहेगें। राजनीति में अगर कोई नेता है तो वे पुर्व सांसद महेष जोषी है, बिना किसी भेदभाव के सभी समाज के लोगो का काम करते है हमने उनसे ही सीखा है सभी धर्मो का सम्मान कर

पत्रकार नईम क़ुरैशी - माॅ बाप का सपना था कि में डाॅक्टर बनू और उन्ही की दुआओं का नतीजा है, कि में आज इस मुकाम पर हुॅ।

चित्र
माॅ बाप का सपना था कि में डाॅक्टर बनू और उन्ही की दुआओं का नतीजा है, कि में आज इस मुकाम पर हुॅ। कार्यक्षेत्र से लेकर निजी लाइफ में परेषानियां सभी के साथ आती है, लेकिन हर परेषानी के सामने घुटने टेक देने का नजरिया इंसान को कमजोर व उसकी दक्षता पर सवालिया निषान लगा देता है। जिंदगी जीना के नाम है, हर परेषानी को सकारात्मक सोच के साथ हल किया जाए तो लाइफ को बेहतर से बहतरीन बनाया जा सकता है। प्रोफेसर गुलाम कुतब चिष्ती भी जीवन को लेकर काफी सकारात्मक है। व एक कुषल प्रषासनिक डाक्टर होने के साथ-साथ बेहतर राजपुताना मेडिकल काॅलेज के प्रिंसीपल भी है। गुलाम कुतब चिष्ती का जन्म 15 फरवरी 1956 को सहारनपुर जिले के रूड़की षहर में हुआ। वे बताते है कि उनके पिता सूफीयत किस्म के थे, उन्होने मुझे डाॅक्टर बनाने के लिए अपनी हैसियत के मुताबिक तमाम कोषिष की, उनका सपना था कि में डाॅक्टर बनू समाज की सेवा करू, और आज उन्ही की मेहनत और दुआओं का नतीजा है, कि में इस मुकाम पर हुॅ। षुरूआती तालीम मैनेे यू.पी से ही हासिल की, जबकी 1974 में जयपुर आया और यही से मैने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद 1986 से