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मई, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पत्रकार नईम क़ुरैशी - मेरे फ़ेवरेट है माधुरी व् मिथुन दा। जाहिर शेख

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पत्रकार नईम क़ुरैशी - कम उम्र में सफलता पुर्वक बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं।

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किशन सिंह- राजस्थान के उन सक्षम और चुनिंदा पुलिस अधिकारियों में है। जिन्होंने काफी कम उम्र में सफलता पुर्वक बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं।   श्री किशन सिंह- ने जिन जिलों में अपनी सेवाएं दी वहां वो हमेशा  अपने सुधारवादी कार्यों के कारण चर्चा में रहें। पहली पोस्टिंग 1996 सब इंस्पेक्टर के पद पर बीकानेर, उसके बाद थाना प्रभारी रहे चुरू, रतन नगर चुरू, दौसा मण्डावर , महुआ , मानपुर , में पूरी लगन व इमानदारी के साथ काम करने बाद 2009 में प्रमोशन मिला और अभी पुलिस निरिक्षक यातायात नार्थ प्रभारी, के पद पर है। सहज सरल और ईमानदार स्वाभाव के पुलिस निरिक्षक यातायात ,किशन सिंह का कहना है। कि वह जब तक डयूटी पर रहेंगे बिना किसी स्वार्थ के जनता की समास्याओं को दूर करने का प्रयास करते रहेंगे। और उन्होनें कहा पुलिस का काम बड़ी जिम्मेदारी का होता है देश की जनता बहुत विष्वास करती है इसलिए अपने काम पूरी निप्ठा व ईमानदारी से करता हूॅ ताकि जनता का विष्वास जीत सकु।   

पत्रकार नईम क़ुरैशी - हर फन के फनकार है, इकराम राजस्थानी

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 हर फन के फनकार है, इकराम राजस्थानी राजस्थानी फिल्मो के जादूगर कहे जाने वाले इकराम राजस्थानी .का कहना है में इतना लिखू कि एक संदेष बनकर जीऊ यह मेरी कल्पना है लोगो को इक दुसरे से जोड़ने का काम हमेषा से करते आए है राजस्थान ही नही पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले इकराम राजस्थानी, राजस्थान के चैमू जिले में 1946,मे पैदा हुअ आज भी रूके नही है फिल्मो के लिए गीत व षायरी ,लिख रहे है हिन्दू मुस्लिम सिंख इसाई हर धर्म को जोड़ने का काम करने वाले इकराम राजस्थानी से आपको परीचित करा रहे है आपको लिखने का षौक कब से हुआ? हम एक पढ़े लिखे परिवार से तो है ही लेकिन यह लिखने का जो षौक मुझे लगा वो मुझे मेरे पिता जनाब अलाउद्दीन खान जी मिला उनको लिखने का बहुत षौक था जो कुछ मैने सीखा है उन्ही को देखकर सीखा है लिखने का काम बहुत पहले से किया जब में स्टूडैन्ट था तब से ही लिख रहा हुॅ लिखते-लिखते लोगो ने कहा में गीत लिखूु तो मेनें राजस्थानी कई गीत लिखें। आपके फिलमी जीवन के सफर के बारे में बताऐ? दस साल तक मैनें टिचिंग जाबॅ किया, फिर में आकाषवाणी बतोर अनाउंसर मेरी एंट्री हुई फिर में स्क्रिपट राईटर बन

पत्रकार नईम क़ुरैशी - फलक को जिद है अगर बिजलियाॅ गिराने की तो - हमें भी जिद है वही आषियां बनाने की -लखविन्द्र सिंह

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फलक को जिद है अगर बिजलियाॅ गिराने की तो - हमें भी जिद है वही आषियां बनाने की -लखविन्द्र सिंह जयपुर: राजस्थान में कुछ समय से हल चल हो रही है लखन्द्रि सिंह कोन है कहा से आया है और आते ही राजस्थान के लोगो में यह केसी उर्जा पैदा कि वो अपने राजस्थान की फिल्मों की तरफ आकर्षीत हो रहे है और राजस्थान के जो कलाकार मुम्बई गये थे वो भी वापस आने लगें है। जहां राजस्थान में फिल्म बनाना एक चुनौती पूर्ण काम है वहीं लखविन्द्र सिंह ने इस चुनोती को स्वीकार करतें हुवे एक फिल्म बनाई माटी के लाल. जो कि राजस्थान के लोगो ने बहुत पसंद की उसके बाद दूसरी फिल्म मेहर करो पिपलाज माता, इन दो फिल्में में लखविन्द्र सिंह ने डायरेक्षन किया यह दो फिल्में राजस्थान में अच्छी चली लेकिन जितना सोचा था उतना अच्छा रिस्पोंस नही मिला। लखविन्द्र सिंह ने काफी सोच विचार किया के किस तरहां लोगो का ध्यिान राजस्थानी फिल्मों की तरफ खीचा जाये बहुत विचार करने के बाद फिर इक फिल्म बनाई जिसका नाम रखा  भवरी, उस समय राजस्थान में भवरीं कांड गरमाया हुआ था हलाकी उसमें भवरी की कोई भी जीवन की वास्तविक्ता नही थी भवरी, की रिलीजिंग होते ही सिनेमा म

पत्रकार नईम क़ुरैशी - वर्दी पहनने का मकसद नि:सुवार्थ भाव से जनता की सेवा करना। डी.सी.पी.हैदर अली जैदी

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वर्दी पहनने का मकसद निःस्वार्थ भाव से जनता की सेवा करना-डी.सी.पी हैद़र अली जैद़ी कहते हैं कि मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनकेसपनों में जान होती है सिर्फ पंखों से कुछ नही होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है। सन् 1963 में जन्मे हैद़र अली जैद़ी मूल रूप से राजस्थान के जयपुर जिले के रहने वाले हैं। जयपुर में ही रहकर उन्होंने अपनी प्रारंभिक षिक्षा पूरी की। तन,मन, धन से जनता की सेवा करने की चाह रखने वाले 2006 बैच र्के आइ.पी.एस अधिकारी हैद़र अली जैद़ी का कहना है कि हमारे वर्दी पहनने का सिर्फ एक ही मकसद है जनता की निःस्वार्थ भाव से सेवा करना। डी.सी.पी. हैद़र अली जैद़ी ने प्रदेष में जिन-जिन जिलों में अपनी सेवाएं दी, वहां वो हमेषा अपने सुधारवादी कार्यों के कारण चर्चा में रहें। सहज, सरल और ईमानदार स्वाभाव के डी.सी.पी. हैद़र अली जैद़ी का कहना है कि वह जब तक ड्यूटी पर रहेंगे बिना किसी स्वार्थ के जनता की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते रहेंगे। वर्तमान में जयपुर में पुलिस उपायुक्त यातायात की कमान संभाल रहे हैद़र अली जैद़ी से खास बातचीत की ब्राईट टूडे संवादाता नईम कुरैषी ने। आई.पी.एस. ब

पत्रकार नईम क़ुरैशी - श्री पदमचंद जैन जी का प्रेरक व समर्पित जीवन

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                       ’’’खास मुलाकात’’’       श्री पदमचंद जैन जी का प्रेरक व समर्पित जीवन  पदमचंद जैन जी की संघर्ष करती जीवन यात्रा एक कामकाजी पुरूष के लिए उसका संघर्ष कभी खत्म नही होता, फिर चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, कोई भी कार्य क्यों न कर रहे हों। न सिर्फ सफलता के पथ पर बल्कि सफल होने के बाद भी उसे संघर्ष करना ही पड़ता है। पदमचंद जैन जी ने बचपन से ही संघर्ष करते आये है। पदमजी मूलतः जैसलमेर के रहने वाले हैं। इनके पूर्वज पाकिस्तान के रहने वाले है व आजादी से पूर्व दिल्ली के पास हापुड़ आकर रहने लगे। इन्होने षिक्षा हापुर में ही पूरी की। जब सात साल के थे, तो पिता का देहांत हो गया। उनके सद्गुणों व व्यापारिक कौषल का इन पर बड़ा प्रभाव रहा। ऐसे मुष्किल हालात में उन्होंने स्वंय अपने बलबूते पढ़ाई की और व्यवसाय भी संभाला। उन्नीस वर्ष की आयु में मां चल बसीं। अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए इन्होंने अपनी संघर्ष यात्रा जारी रखी, और आज वह लोगों की समस्याओं को हल करवाना उनका पहला कत्र्तव है। पदमजी मजबूत इरादों व संकल्प-षक्ति से भरपूर है। खुषमिजाज तथा मिलनसार व्यक्तित्व से वे वा

पत्रकार नईम क़ुरैशी - मेरा आदर्श मेरा कुरआन है। हाजी आफताब

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मेरा आदर्श मेरा कुरआन है। हाजी आफताब  जयपुर - हाजी आफताब उन जाने माने इ्रंसानो में से है जो खुद से ज्यादा जो सिर्फ दूसरो की चिन्ता करते है जो दूसरो के दर्द को समझते है। इनका मकसद जिन्दगी में कुछ करना है बचपन से ही समाज की सेवा का षोक रखने वाले हाजी आफताब खुदा की और हम सब के प्यारे नबी का जिक्र करते हुए कहते है जो खुदा ने हम पर फर्ज किया है, उन फर्जो को अच्छी तरहा अदा करना चाहीये। हमारे प्यारे नबी करीम (सल॰) ने अपनी तालीम में ईमान के बाद जिन चीजों पर बहुत ज्यादा जोर दिया है और इंसान की सआदत को उन पर मौकूफ बतलाया है उनमें से एक यह भी है कि आदमी अच्छा अख्लाक अख्तियार करें और बुरे अख्लाक से अपनी हिफाजत करें। अपने बच्चो को तालीम दे तभी हमारे हालात सुथरेगें आज मुस्लमान सो रहा है हम अन समझ है क्यों के हमारे पास दीन-दारी नही है हमे दीन-दारी लानी है। जब में बहुत छोटा था मेहनत मजदूरी करता लेकिन नमाज पढता था आज जो कुछ मेरें पास है वो नमाज की बदोलत है। हमे नमाज कायम करनी चाहिए नमाज से हमारी दुनिया और अखिरत दोनो बनेगी। मेरा अदर्ष मेरा कुरआन ह,ै में जब स्कूल मे पढता था तो मैरे भाई साहब मुझे प

पत्रकार नईम क़ुरैशी - नेक दिल इन्सान है हाजी रूसतम गोरी

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नेक दिल इन्सान है हा जी रूसतम गोरी राजस्थानः डीडवाना जिले के जानेमाने नेक दिल इंसान है, हाजी रूसतम गोरी आज किसी परिचय के मोहताज नही। व दूसरों के लिए जीते है। हमेषा जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए तैयार रहते है। रूसतम जी का मानना है देष के सुखद भविष्य के लिए अच्छे संस्कारों की जरूरत है। संस्कारित बच्चे तभी बनेगें जब बच्चो को षुरू से ही अच्छे संस्कार मिले। दीनी तालीम मिले और सफल बनने के लिए दुनिया की भी तालीम जरूरी है और सबसे जरूरी बात हमे सफलता पाने के लिए बुरे काम या कोई गुनाह के काम नही करने है बल्कि हमे एक अच्छा पुत्र, एक अच्छा पिता, अच्छा पति और पत्नी, एक अच्छा मित्र, एक अच्छा पड़ोसी, एक अच्छा नागरिक बनने से पहले एक अच्छा इन्सान बनना जरूरी है। अगर आप अच्छा इन्सान बनते है  तो खुदा की मदद मिलती है जो आपको सफलता दिलाती है। और इससे हमारा देष भी आगे बढेगा दूसरे धर्मो के लोग भी इज्जत करेगें।

पत्रकार नईम क़ुरैशी - शेरवानी ने दी, गणतंत्र दिवस की प्रदेषवासियों को हार्दिक बधाई

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शेरवानी ने दी, गणतंत्र दिवस की प्रदेषवासियों को हार्दिक बधाई जयपुर: पुर्व विदेष मंत्री सलीम इकबाल शेरवानीरवानी साहब ने गणतंत्र दिवस की प्रदेषवासियों को हार्दिक बधाई दी, (अल्प संख्यक विभाग) जिला संयोजक हामीद हुसैन फारूकी ने बताया 25 जनवरी 2015 षनिवार को सलीम षैरवानी साहब ने एक बधाई संदेष में उन्होंने कहा है भारत आज लोकतंत्र की मषाल जलाते हुए दुनिया में आषा-उमंग, षांति के आकर्षण का केंद्र बिंदु बन गया है। हमारे भारत देष में बिना भेदभाव के हर जाति धर्म के लोग षांति से रहते हैं, भारत मजबूत लोकतंत्र है। गणतंत्र दिवस भारत देष की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी षहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उन्हें याद करने का अवसर प्रदान करता है, आजादी की लड़ाई में अप्रतिम योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को भी नमन करता हुॅं।

पत्रकार नईम क़ुरैशी - खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।

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खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रज़ा क्या है। कामयाब इंसान खुष रहे न रहे, पर खुष रहने वाला इंसान जरूर कामयाब होता है। इस नेक विचार के साथ आज में आपको एक ऐसी षख्सियत के बारे में बता रहा हुॅ राजस्थान जयपुर में जो कि नगीनें का व्यावसाय करतें है यू ंतो हम सब जानतें है जयपुर षहर में अधिकतर लोग नगीनें का व्यापार करते है, लेकिन ये षख्सियत अपने काम से नही बल्कि अपने कर्मोे से जाने जाते है। यू ंतो हर आदमी कहता है में समाज सेवा करता हुॅ, लेकिन इनके बारे में तो जयपुर षहर के लोग कहते है कि समाजिक कार्य हो या धार्मीक कार्य हो व अपना पूरा-पूरा योगदान देते है। ऐसी षख्सियत है, हाजी रफत अहमद आज किसी परिचय के महोताज नही आप वाइल्ड मैमोरियल रिलिफ सोसायटी, सैन्ट्रल मिलाद कमेटी, ईद-ए-मिलाद कमेटी, नूरी सुन्नी सैन्ट्रल सोसायटी व कई अन्य संस्थाओं जुड़े है। और अपने मजहब की हर बात पर अमल करने पर जोर देते है अपने जीवन का अर्दष पैगम्बर मोहम्मद रसूलल्लाह को मानतें है और मुस्लिम धर्म के सभी अर्दषों को अपनाकर समाज में प्रचारित करना चाहते है। नमाज रोजा आदि को रोजमर्र

पत्रकार नईम क़ुरैशी - एकता मंडल मुम्बई तथा गौरी परिवार फतेहपुर की ओर से यूनिफार्म व अन्य ज़रूरी सामान बाटें

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